मनोज किशोर, जमशेदपुर.
भारतीय संविधान ने १૪ सितम्बर १९૪९ में हिंदी को राष्ट्रभाषा से राजभाषा बनाया था और देवनागरी को लिपी. सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं.
मैं हिंदी हूं
मैं हूं हिंदी
भारत की बेटी
भारत है मेरा मायका
मै भारत की पावन धरती
में जन्मी, पली-बढ़ी हू.
पूरे विश्व में फैली हू.
विश्व के सभी भाषाओं में
सबसे समृद्धशाली हूं
सौ प्रतिशत विज्ञान
के मापदंड पर
मेरा जन्म हुआ है
तालू से लेकर कंठ तक के
स्पर्श से निकलने वाले
अलग-अलग स्वर के लिए
अलग-अलग वर्ण हैं मुझमे
स्वर और व्यंजन मिलाकर
कुल ५२ वर्णमाला की
खूबसूरत लड़ी हूं मैं
चंद सूट- बूट वाले
फिरंगी भाषा बोल कर
मुझे नीचा दिखलाते हैं
मेरी जन्मस्थली में ही
मेरी ही भाषा को
बोल कर, पल-बढ़ कर
आज मेरी ही भाषा को
बोलने में कुछ लोग कतराते हैं
वे शायद ये भूल जाते हैं कि
प्रथम बार अपनी जननी को
तूने मेरी ही भाषा में
मां कहकर बुलाया था
मेरी ही भाषा में
मां ने लोरी गाकर
तुम्हें सुलाया था
गर्व है मुझे कि
मैं हिंदी भाषी हूं
आओ चलो
सब मिलकर
हिंदी का मान बढ़ायें
हिंदी बोलें
हिंदी अपनाएं
हिंदी गुनगुनाये
क्योंकि
मैं हूं हिंदी
भारत है मेरा मायका
हूं भारत की बेटी.. . . . . . .
इस कविता को मनोज किशोर जी ने लिखा है. मनोज किशोर कोल्हान विवि के अंतर्गत सिंहभूम कॉलेज चांडिल में प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर कार्यरत है.