लौट आई उस दहलीज, उसी पुराने चौखट पर….

निवेदिता श्रीवास्तव गार्गी. दहलीज लौट आई उस दहलीज,उसी पुराने चौखट पर,इंतज़ार का शुरू सिलसिला करने,चूड़ियों की खनक औरनूपुर की साज से आबद्ध करने,रति सी अलसायी भोर में…! उलझे लटों को संवारती ,अपने आनन निहारती ।पावन हुआ मन गंगाजल सा,आंगन की तुलसी सूखी नहीं थी।प्रात और सांझ केआचमन से हरी हो चली थी,ओसारे की बैठक औरअंगना … Continue reading लौट आई उस दहलीज, उसी पुराने चौखट पर….