सौ-सौ दुःखों को तू सीने मे दबाकर चेहरे पे रखती, तू जगतजननी है
– अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में नारी के सम्मान में मनोज किशोर की कलम से कविता जमशेदपुर. जगतजननी हे जगतजननी नारी, तू मान है, सम्मान है, हर घर की शान है. तुझसे शुरू सुबह है, तुझसे ही ख़त्म शाम है. हे नारी, तू अभिशाप नहीं, तू हर घर की अभिमान है. तू जीवन भी … Continue reading सौ-सौ दुःखों को तू सीने मे दबाकर चेहरे पे रखती, तू जगतजननी है
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