जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने जो कायराना हरकत करते हुए 27 मासूम भारतीयों की जान ले ली, उससे पूरी दुनियां में शोक और आक्रोश का माहौल है. सभी लोग अपनी भावना और दुख प्रकट कर रहे हैं. जमशेदपुर के श्रीनाथ यूनिवर्सिटी में डिप्लोमा इन मेकनिकल की पढ़ाई कर रहे ह्दयांश राज ने अपनी कविता से अपनी भावनाओं को प्रकट करते हुए आतंकियों के अंत के लिए भारत की ताकत का परिचय शब्दों से कराया है.
वो भारत जिसने कभी डरना सीखा ही नहीं,
जिसने कभी किसी कमजोर को सिर्फ़ उसकी ताकत से नहीं आँका,
और कभी किसी ताकतवर के आगे झुका नहीं।
वो भारत जिसने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी
और खुद को स्वतंत्र किया।
वो भारत जिसने हमें साहसी झाँसी की रानी दी,
और मर्यादा में रहने वाले भगवान श्रीराम को जन्म दिया।
वो भारत जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत पर चलता है,
जो अपने लोगों पर धूप आने से पहले, उनके लिए छाया बन जाता है।
वो भारत जो अगर किसी ने उस पर ऊँगली उठाई,
तो मुँहतोड़ जवाब देना भी जानता है।
मैं बहुत विनम्रता से समझा रहा हूँ, समझ जाना,
अन्यथा 1971 का आत्म-समर्पण
और 1999 का कारगिल युद्ध तो तुम्हें याद ही होगा।
याद तो होगा तुम्हें हमारा —
‘घर में घुसकर मारना’ भी।
और अगर भूल गए हो,
तो मैं याद दिला दूँ —
INS विक्रांत पाकिस्तान की
जल सीमा के समीप पहुंच चुका है,
और INS सूरत अरब सागर में प्रवेश कर चुका है।
तुम्हारे एक कीड़े ने कहा था,
“जाओ और मोदी को बताओ।”
अब कह दिया है हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने भी
इस हमले की साजिश रचने वालों को,
उनकी कल्पना से भी बड़ी सज़ा दी जाएगी।
देखो कैसे एकजुट खड़ी है 140 करोड़ की आबादी
अभी तो पानी रोका है,
सांसें भी रोकी जाएंगी।
देखो कैसे अब
तुम्हारे सीने पर हमारी गोली दागी जाएगी।”
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