रांची/जमशेदपुर.
झारखंड राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय के 62 अंगीभूत डिग्री कॉलेजों में संचालित इंटरमीडिएट कॉलेज के फंड के दुरुपयोग, गबन, हेराफेरी करने शिकायत राज्यपाल सह कुलाधिपति से की गयी है. इस मामले की शिकायत झारखंड जनतांत्रिक महासभा केंद्रीय कमेटी के सदस्य रंजीत कुमार महतो (दीपक रंजीत) ने की है. इस शिकायत और जांच मांग पत्र के माध्यम से दीपक रंजीत ने विश्वविद्यालयों के अंतर्गत 62 घटक डिग्री कॉलेजों में व्याप्त भ्रष्टाचार, सरकारी धन के गबन, वित्तीय कुप्रबंधन की बात कही है. उन्होंने शिकायत की कॉपी प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्रालय, झारखंड के मुख्यमंत्री, एसीबी, ईडी, शिक्षा विभाग व अन्य को भेज कर त्वरित जांच की मांग की है.
विवि और जैक को अपने से मतलब, बीच में मलाई खा रहे कॉलेज प्रबंधन
मालूम हो कि जिन भी अंगीभूत डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई होती है, वहां दाखिला शुल्क कॉलेज प्रबंधन अपने अनुसार वसूल करते हैं. इसमें से रजिस्ट्रेशन शुल्क और परीक्षा शुल्क यही दो राशि जैक को भेजी जाती है. बाकी सभी राशि कॉलेज फंड में रहता है. इसी बची राशि में इंटर में कार्यरत शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है. इसके बावजूद लाखों करोड़ों रुपए में प्राप्त होने वाले एडमिशन फीस का कॉलेज प्रबंधन क्या करते हैं? इसका कोई हिसाब नहीं दिया जाता है. चुकी डिग्री कॉलेज होने के कारण विवि प्रबंधन उसी राशि का हिसाब ऑडिट मांगता है जो विवि या यूजीसी से दी जाती है. इंटर के पैसे पर विवि का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है. वहीं जैक को महज रजिस्ट्रेशन शुल्क और परीक्षा शुल्क से मतलब रखता है. इसी के बीच होता है फंड के गबन और दुरुपयोग का खेला.
इन बिंदुओं पर की है जांच की मांग
- फंड के गबन सहित वित्तीय भ्रष्टाचार, गबन और धन के कुप्रबंधन की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो/प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तत्काल जांच और कार्रवाई शुरू की जाए. झारखंड विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेज और उपरोक्त विश्वविद्यालयों के अधिकारियों ने 62 डिग्री कॉलेजों में फर्जी विकास, भवन निर्माण, बुनियादी ढांचे और पुस्तकालय, प्रयोगशाला, बिजली रखरखाव अन्य के नाम पर फर्जीवाड़ा किया.
- उपरोक्त सभी विश्वविद्यालयों के खातों और इसके अंतर्गत आने वाले 62 घटक डिग्री कॉलेजों के खातों की अवैधताओं को निर्धारित करने और दोषियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई शुरू करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति की देखरेख में कानून के अनुसार ऑडिट करने का तत्काल आदेश दिया जाए.
- उपरोक्त विश्वविद्यालयों के अधीन 62 अंगीभूत डिग्री कॉलेजों की वित्तीय रिपोर्ट यथाशीघ्र प्रकाशित करने का आदेश दिया जाए.
कैंपस बूम पहले ही जता चुका है राशि गबन की आशंका
कैंपस बूम इस मामले में पूर्व में ही राशि गबन के इस बड़े खेल की आशंका को जता चुका है. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत राज्य के डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई को बंद करने के संबंध में चलाए जा रहे खबर और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक दाखिला जारी रखने की मुहिम कैंपस बूम ने चलाया था. इसी दौरान यह बात सामने आयी थी कि राज्य के 62 अंगीभूत डिग्री कॉलेज में इंटरमीडिएट के लाखों करोड़ों रुपए हैं. पढ़ाई बंद होने के बाद इन राशि का क्या होगा. इसी दौरान यह बात सामने आयी थी कि कॉलेज प्रबंधन दो तरफा फर्जीवाड़ा करते हैं. डिग्री कॉलेज में जो भी मूलभूत सुविधा का विकास, निर्माण होता है वह विवि, यूजीसी ग्रांट से होता है. लेकिन इसी काम को इंटरमीडिएट में भी दिखाया जाता है. इसके अलावा यह भी आरोप सामने आये थे कि कई कॉलेज के प्राचार्य इंटरमीडिएट के पैसे से नई नई गाड़ी खरीदते हैं और अन्य तरह की सुविधा पर राशि का खर्च करते हैं. हालांकि इन आरोपों की पुष्टि तब ही हो पाएगी जब तक मामले में जांच नहीं हो जाती है. दीपक रंजीत की मांग पर सरकार अगर सचेत होती है, तो एक बड़े घोटाले से पर्दा हटेगा.