- टाटा स्टील ने कला के माध्यम से जैव विविधता और समावेशिता को बढ़ावा दिया
जमशेदपुर.
सामाजिक जिम्मेदारी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, टाटा स्टील के फेरो अलॉयज एंड मिनरल्स डिवीजन (एफएएमडी) ने अपने सुकिंदा क्रोमाइट माइन परिसर में विशेष रूप से वंचित तबके के आदिवासी समूहों (पीवीटीजी) के लिए तीन दिवसीय कला और शिल्प कार्यशाला का आयोजन किया है. “जैबा कला विविधता” नामक कार्यक्रम में कला के माध्यम से जैव विविधता की अभिव्यक्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया.
क्षेत्र के मनकिडिया और जुआंगा जनजातियों के लगभग 50 बच्चों और युवाओं ने कार्यशाला में भाग लिया और उन्हें प्रख्यात कलाकार रिंकू प्रमाणिक और बब्बन मोहराना के नेतृत्व में जमशेदपुर स्थित संगठन शिल्पी निकेतन द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया. जनजातीय समुदायों को अपनी कलात्मक प्रतिभा दिखाने, नए कौशल सीखने और अपनी रचनात्मकता का पता लगाने का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से, इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुदायों को जैव विविधता संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करने पर केंद्रित था.
कार्यक्रम पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, टाटा स्टील के एक्जीक्यूटिव इंचार्ज (एफएएमडी) पंकज सतीजा ने कहा, “हमने हमेशा जैव विविधता संरक्षण के महत्व को पहचाना है और ‘जैब कला विविधता’ जैसी पहलों के माध्यम से हम अपने परिचालन में और इसके आसपास के समुदायों को इसके प्रति संवेदनशील बनाने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं. कला और शिल्प कार्यशाला जैसे आयोजनों के माध्यम से, हम अपने प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति गहरी सराहना को बढ़ावा देना चाहते हैं.” कंपनी द्वारा लंबे समय से आयोजित इस कार्यक्रम में शैक्षिक सत्रों, इंटरैक्टिव प्रदर्शनियों और सामुदायिक जुड़ाव गतिविधियों की एक श्रृंखला शामिल थी, जिसका उद्देश्य क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता और इसके स्थायी प्रबंधन की आवश्यकता को उजागर करना था.
इस अवसर पर माइंस के चीफ शंभू नाथ झा, माइनिंग हेड देवराज तिवारी (सुकिंदा क्रोमाइट माइन), सीनियर एरिया मैनेजर (माइंस ऑपरेशन) निहार मित्रा और सीनियर एरिया मैनेजर (सिक्योरिटी) अंजना तिवारी सहित कंपनी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.