- कीताडीह निवासी राहुल कुमार को शनिवार शाम सुंदरनगर सीआरपीएफ कैंप के पास सड़क पर घायल अवस्था में मिला था उल्लू
- कोई डॉक्टर नहीं मिलने से रात भर घर पर रखा, सुबह होते ही इलाज के लिए उल्लू को लिए कीताडीह से साकची, बिष्टुपुर में खोजता रहा डॉक्टर
- टाटा जू ने नियमों का हवाला देकर लेने से किया इनकार, बंद था जुस्को का पशु चिकित्सालय, वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा इलाज करा कर छोड़ दे जंगल में
जमशेदपुर.
बेजुबानों के दर्द को समझ लेना और उनकी मदद करना है सच्ची इंसानियत की पहचान है. इंसानियत और मानवता की ऐसी ही मिसाल को प्रस्तुत किया है जमशेदपुर के कीताडीह निवासी राहुल कुमार ने. पढ़े पूरी कहानी.
इस शहर में पशु-पक्षियों को पालने और उनसे प्यार करने वाले हजारों लोग हैं. वैसे लोग अपने पालतू जानवरों का ख्याल भी रखते हैं. लेकिन बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जो सड़क पर अस्वस्थ, घायल पड़े जानवर, पशु पक्षी के बारे में सोचते हैं. इन्हीं कम लोगों में से एक हैं जमशेदपुर के कीताडीह निवासी राहुल कुमार. राहुल केटरिंग का काम करते हैं. शनिवार की शाम सात बजे वे सुंदरनगर की ओर से कीताडीह अपने घर आ रहे थे. इसी दौरान उन्हें सीआरपीएफ कैंप गेट के सामने मुख्य सड़क पर उल्लू गिरा दिखा. पहले तो उन्होंने उसे इशारे से उड़ाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं उड़ पा रहा था. राहुल को समझ में आ गया कि वह घायल है. पहले तो राहुल ने उसे उठा कर साइड रखने का सोचा, लेकिन जब देखा कि उसके पंख पूरी तरह से कट गए हैं और उससे खून निकल रहा है. यह राहुल से देखा नहीं गया, राहुल उल्ली को उठा कर एक झोले में रख कर अपने घर ले आया और उसके इलाज के लिए कई जगह संपर्क करने लगा. लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली तब तक देर रात हो गई. सुबह उठते ही राहुल घायल उल्लू को लेकर निकल पड़ा इलाज के लिए.
पत्रकार से किया संपर्क :
राहुल को समझ नहीं आ रहा था कि वह उल्लू को इलाज के लिए कहा लेकर जाए. कोई उसे यह भी नहीं बता पा रहा था कि उसका इलाज कोई पशु चिकित्सक कर सकता है. बल्कि उल्लू होने की बात लेकर कई लोग राहुल को तरह तरह की बातें समझाने और बताने लगे. राहुल को कोई रास्ता नहीं दिखने पर उसने जेआईसी न्यूज के पत्रकार अश्विनी श्रीवास्तव से संपर्क किया. उसके बाद उन दोनों ने घायल उल्लू को लेकर साकची स्थित जुस्को के वेटनरी अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वह बंद था.
जू ने लेने से किया इनकार और वन विभाग के अधिकारी ने दे दी नसीहत
राहुल और अश्विनी ने एक दूसरे पत्रकार के माध्यम से टाटा स्टील जुलॉजिकल पार्क से संपर्क किया. लेकिन वहां के एक अधिकारी ने उल्लू को लेने या इलाज करने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि उनके नियम में बाहर से किसी पशु, पक्षी, जानवर को लेने की अनुमति नहीं है. उसके बाद जमशेदपुर वन विभाग के एक अधिकारी से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि कोई डॉक्टर अभी नहीं मिलेगा, और उन लोगों के पास ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं है जहां वे ऐसे पक्षियों को रख कर इलाज कर सके.
बिस्टुपुर के एक क्लिनिक में बैठे डॉक्टर इलाज करने को हुआ तैयार
कई लोगों से जानकारी लेने के बाद राहुल और अश्विनी उल्लू को लेकर बिस्टुपुर के एक वेटनरी क्लिनिक लेकर पहुंचे. वहां एक डॉक्टर बैठे थे. क्लिनिक वाले और डॉक्टर ने उल्लू का इलाज करने पर तैयार हुए. वे लोग उल्लू को बेहतर इलाज के बाद रिलीज करने पर तैयार होकर उसे रख लिया.