जमशेदपुर.
पूर्वी सिंहभूम शिक्षा विभाग ने स्कूलों को एक ऐसी चिट्ठी जारी कर दी है जिससे प्रधानाचार्यों और स्कूल प्रबंधन को कुछ समझ नहीं आ रहा है. शिक्षा विभाग द्वारा एक ऐसे मद में स्कूल से पैसा मांगा जा रहा है जो सुविधा कभी बहाल ही नहीं की गयी. दरअसल पूर्वी सिंहभूम शिक्षा विभाग द्वारा सभी कोटि के उच्च विद्यालय, प्लस टू स्कूल, कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय को एक पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि स्काउट एंड गाइड मद में प्रति छात्र शुल्क वसूल कर प्रति वर्ष एक हजार के हिसाब शुल्क विभाग के खाते में जमा कराए. यही नहीं यह राशि प्रति साल के हिसाब से पिछले चार साल के लिए मांग की गयी है. यानी स्कूल को चार हजार रुपए वसूल करना है या कहीं से भी व्यवस्था कर जमा कराना है. आश्चर्य करने वाली बात है कि जब स्कूल में आज तक स्काउट एंड गाइड का प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया, तो उस मद में शुल्क की वसूली कैसे होगी. यानी जो सुविधा बच्चों को दी ही नहीं गयी, उसका शुल्क कैसे मांगा जा सकता है वह भी पिछले चार साल के लिए. दूसरी ओर प्लस टू स्कूल, दसवीं के सैकड़ों छात्र पास होकर स्कूल से निकल गये हैं, तो उनका शुल्क कैसे वसूल किया जाएगा. अब स्कूल के प्रधानाचार्य, प्रबंधन को यह समझ में नहीं आ रहा है कि वे लोग चार हजार रुपए की व्यवस्था कहां से करें. कुछ प्राधानार्चों ने इसको लेकर स्कूल प्रबंधन के साथ मीटिंग कर हल निकालने पर चर्चा की. प्रबंधन का कहना है कि इस सत्र का शुल्क तो किसी तरह वसूल किया जा सकता है, लेकिन पिछले चार साल का कैसे होगा? एक और सबसे बड़ी बात कि यह शुल्क की राशि विद्यार्थियों से किस आधार पर और प्रतिमाह के हिसाब से कितना वसूल करना है इसका कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है. इस संबंध में कैंपस बूम ने जिला डीईओ और डीएसई को मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन फोन रिंग जाने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
जो सुविधा, प्रशिक्षण ही नहीं, उसके लिए शुल्क कैसे ?
आश्चर्य करने वाली बात है कि जिला शिक्षा विभाग ने जब स्कूलों में स्काउट एंड गाइड प्रशिक्षण की शुरूआत ही नहीं है. इसके लिए अलग कोई प्रशिक्षक नहीं है, कभी कोई एक कार्यशाला तक नहीं की गयी, तो शुल्क किस बात की.
मई में लिखी गई चिट्ठी, सितंबर में मिली, 2022 का है आदेश
जिला शिक्षा विभाग की ओर से मई 2023 को पत्र जारी किया गया है. आश्चर्य की बात है कि चिट्ठी (पत्रांक संख्या 922) पर अधिकारी का हस्ताक्षर 6 मई 2023 का है और चिट्ठी लिखी गयी है 8 मई को. ऐसा कैसे संभव हो पाया है यह आश्चर्य की बात है. दूसरी ओर यह आदेश 2022 का है. उपनिदेशक स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक संख्या 3049 दिनांक 2 फरवरी 2022 एवं सचिव स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड, रांची के पत्रांक संख्या 754 दिनांक 10 मार्च 2023 के आदेशानुसार सभी विद्यालयों में स्काउटिंग एवं गाइडिंग का क्रियाशीलन (शिविर आयोजन) अनिवार्य है. अत: स्काउट एंड गाइड का दल पंजीयन कराते हुए अपने अपने विद्यालय के शिविर आयोजन कराना सुनिश्चित करें.
जो मद ही नहीं उस खाते से पैसा जमा करने का आदेश
जिन स्कूलों में स्काउट एंड गाइड का अलग से कोई कोष नहीं है वे काफी असमंजस में हैं. क्योंकि आदेश में लिखा हुआ है कि सभी कोटि के सरकारी विद्यालय, क्रीडा/छात्र कोष/बालचर या स्काउट कोष से राशि चेक, ड्राफ्ट नगद या ऑनलाइन जमा करेंगे. इसके लिए खाता संख्या भी जारी की गयी है. अब जब स्काउट का कोई कोष ही नहीं है, और उसके लिए कोई शुल्क वसूल ही नहीं किया गया, तो स्कूल प्रबंधन ये राशि कहां से जमा करेंगे.
2020-21 से 2023-24 सत्र के लिए करने का आदेश
आदेश में लिखा गया है कि वर्ष 2020-21 से लेकर 2023-24 तक यानी चार वर्ष के लिए प्रतिवर्ष स्काउट एंड गाइड 1+1 (यूनिट) के हिसाब से 500+500 रुपए यानी एक हजार रुपए जमा करना है. इसी तरह रोवर एवं रेंजर के लिए भी प्रतिवर्ष 500+500 यानी एक हजार रुपए जमा करना है.
बच्चे से कितना शुल्क लेना है इसका भी कोई जिक्र नहीं
जारी पत्र में स्कूल को तो प्रतिवर्ष 1000 हजार रुपए के हिसाब से जमा करने बोला गया है, लेकिन यह शुल्क विद्यार्थियों से किस आधार पर और कितना प्रतिमाह के हिसाब से लेना है इसका कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है. ऐसे में गुरुजी यानी प्राधानाध्यापक, प्राधानाचार्य और प्रभारी प्राधानाध्यापक असंजस में है.