जमशेदपुर.
सांस्कृतिक कार्य निदेशालय पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार के सहयोग से जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा द्वारा कोल्हान विश्वविद्यालय सभागार में करम पर्व पूर्व संध्या समारोह (संस्कृतिक कार्यक्रम एवं संगोष्ठी) का आयोजन किया गया. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मंत्री महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग झारखंड सरकार जोबा मांझी, कोल्हान आयुक्त सह कुलपति मनोज कुमार, रजिस्ट्रार प्रो (डॉ) जयंत शेखर, संकायाध्यक्ष मानविकी डॉ सत्यप्रिय महालिक, विभागाध्यक्ष जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग डॉ अर्चना सिन्हा, विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी सभी संकायाध्यक्ष सभी विभाग के विभागाध्यक्ष, सभी प्राध्यापक, कर्मचारी, कुड़माली शिक्षण सहायक पद्मावती महतो, हो शिक्षण सहायक अनंत कुमार हेंब्रम और सैकड़ो की संख्या में विभिन्न विभाग के विद्यार्थी उपस्थित हुए. सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए पांच आमंत्रित विषय विशेषज्ञ, पांच कला दल (लोक नृत्य दल) भी शामिल हुए.
मुख्य अतिथि मंत्री जोबा मांझी ने अपने संबोधन में कहा करम पर्व प्रकृति और मनुष्य का एक बेजोड़ मिसाल है. यह पर्व मुख्य रूप से इस क्षेत्र में निवास करने वाले महतो, संथाल, मुंडा, उरांव अन्य लगभग सभी समुदाय के द्वारा मनाया जाता है. इस पर्व में खासकर के समाज के कुंवारी कन्याएं बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है. ऐसे कार्यक्रम विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि प्रत्येक महाविद्यालयों में भी होना चाहिए. कार्यक्रम के सफल आयोजन में सहयोग के लिए सांस्कृतिक कार्य निदेशालय पर्यटन,कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार व्यक्त की.
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुआ. कार्यक्रम दो सत्र में संपन्न हुई. प्रथम सत्र अतिथियों स्वागत और उनके भाषण से हुआ. इस दौरान अतिथियों और तमाम लोगों का स्वागत जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अर्चना सिन्हा ने अपने अभिभाषण से किया. तत्पश्चात् कार्यक्रम के विषय में उनके महत्व और विशेषताओं पर विस्तृत जानकारियां जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के कुड़माली सहायक प्राध्यापक सुभाष चंद्र महतो ने दिया.
विश्वविद्यालय के कुलपति-सह- प्रमंडलीय आयुक्त मनोज कुमार ने अपने अभिभाषण में कहा यह पर्व लगभग सभी समाज में मनाई जाती है. यह पर्व विशेषकर प्रकृति एवं भाई-बहन की प्रेम को दर्शाता है. उन्होंने मंच से ही जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग को निर्देश दिया कि ऐसे विषयों पर गहन शोध एवं अध्ययन कीजिए. जिसका विस्तृत रिपोर्ट विश्वविद्यालय के द्वारा राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को भेजी जाएगी ताकि इस महान प्राकृतिक पर्व को मनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अवकाश मिलना चाहिए. जिससे इस पर्व की संरक्षण और इसके विकास में बल मिलेगा. इस समारोह के आयोजन में सहयोग के लिए सांस्कृतिक कार्य निदेशालय पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार व्यक्त किया.
प्रथम सत्र का समापन डॉ सत्यप्रिय महालिक के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ. उन्होंने कार्यक्रम के बारे में संक्षेप में बताते मंच का संचालन संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापिका दानगी सोरेन और जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक निशोन हेम्ब्रम ने संयुक्त रूप से किया.
द्वितीय सत्र में विषय विशेषज्ञों का भाषण और लोक नृत्य दलों ने नृत्य की प्रस्तुति दी
इस दौरान पांच विषय विशेषज्ञ भगवान दास तिर्की, पाहन-सह-मुखिया, उरांव, चाईबासा, पांडव महतो शोधार्थी (UGC,NET-JRF) कुड़माली, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद, दिलदार पूर्ति सहायक प्राध्यापक, हो, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, विश्वविद्यालय रांची, डॉ मीनाक्षी मुंडा, सहायक प्राध्यापक, मानवशास्त्र विभाग कोल्हन विश्वविद्यालय, चाईबासा उपस्थित हुई और करम पर्व के बारे में विस्तृत जानकारियां दिया. विश्वविद्यालय स्तर पर ऐसा पहली बार हुआ कि सभी स्थानीय जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के वक्ताओं ने अपनी-अपनी समाज में मनाएं जाने वाली प्रकृतिक पर्व करम के बारे में जानकारियां साझा किए. वक्ताओं को विश्वविद्यालय के कुलसचिव के द्वारा पारंपरिक अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया और इस समारोह के आयोजन में सहयोग के लिए सांस्कृतिक कार्य निदेशालय पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार का आभार व्यक्त किया.
करम परब पूर्व संध्या समारोह (सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं संगोष्ठी) में पांच आमंत्रित कला दल (लोक नृत्य दल) ख्याति प्राप्त मुंडारी लोक कलाकार अनुरोध पातर के नेतृत्व में मुंडारी लोक नृत्य दल, तमड़, रांची से, बाबूराम सोरेन नेतृत्व में संताली लोक नृत्य दल, करनडीह, जमशेदपुर से, कुड़माली झूमर सम्राट संतोष महतो के नेतृत्व में कुड़माली लोक नृत्य दल, सरायकेला-खरसावां से, प्रसिद्ध हो नृत्य कलाकार बोयो गगराई के नेतृत्व में हो लोक नृत्य दल, मटकमहातु पश्चिमी सिंहभूम से और उरांव लोक नृत्य दल, पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा से शामिल होकर कार्यक्रम प्रस्तुत किए. सभी लोक नृत्य दलों के प्रमुख को आयोजन मंडली की ओर से सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम का समापन निशोन हेम्ब्रम, सहायक प्राध्यापक संताली, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ. द्वितीय व अंतिम सत्र के मंच का संचालन जनजातीय एवं विभाग के हो सहायक प्राध्यापक डॉ. बसंत चाकी और दर्शनशास्त्र विभाग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ पास्कल बेक ने संयुक्त रूप से किया.
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