मुझे उस कोरे कागज को, इस तरह देखना गवारा न था…..

निवेदिता श्रीवास्तव “गार्गी”. कोरा कागज उस कोरे कागज पर , अपने मन की अभिव्यक्ति लिखती रही , कभी उसने पढ़ी कभी , अनमने भाव से लगे ! मुझे उस कोरा कागज को , इस तरह देखना गवारा न था, मैंने हर हाल में उसे , पूर्ण करने की ठानी थी, इस बात से न हार … Continue reading मुझे उस कोरे कागज को, इस तरह देखना गवारा न था…..