सेंट्रल डेस्क, कैंपस बूम.
शरद पूर्णिमा की रात चांद रोशनी में खीर रखने और उसमें अमृत वर्ष होने की कहानी और मान्यता वर्षों से प्रचलित है. लोग इसे अपने अपने हिसाब से मानते और इसके प्रति श्रद्धा रखते हैं. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद से अमृत वर्षा होती है और इस रात खीर का भोग बना कर छत के ऊपर चांद की रोशनी में रखने से वह अमृत के समान हो जाता है. इस दिन चंद्र देव की पूजा अर्चना करने का विधान है. शरद पूर्णिमा के दिन पारम्परिक रूप से दूध और चावल की खीर बनाई जाती है और उसे पूरी रात के लिए चांदनी में रखा जाता है. ऐसा करने से उस खीर में चंद्रमा के औषधीय व दैवीय गुण आ जाते हैं, जो व्यक्ति के लिए बहुत-ही लाभकारी सिद्ध होते हैं. लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की रात ही चांद पर ग्रहण लग रहा है. ऐसे में कब और कैसे खीर बना कर रखा जाए. इस चंद्र ग्रहण का किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इस संबंध में पूरी जानकारी दे रहे हैं विशेषज्ञ ब्राह्मण सुशांत कुमार पांडेय. पढ़िए यह विशेष रिपोर्ट.
इस बार भारत में चंद्र ग्रहण शनिवार 28 और 29 अक्टूबर 2023 की रात्रि मे 1 बज कर 5 मिनट मे चंद्र ग्रहण लगेगा और 2 बजकर 23 मिनट रात्रि मे ग्रहण छुट्ट जाएगा. एक विशेष बात 28 अक्टूबर 2023 शरद पूर्णिमा भी है. इस दिन खीर को रात्रि में घर के आंगन, या छत पर चंद्रमां की रोशनी में रखा जाता है. जिसमे अमृत वर्षा होती है. वह अमृत वर्षा खीर को भी अमृत तुल्य बनाती है. शरद पूर्णिमा जरूर मनाये और खीर को खुले आसमान मे भी रखें परंतु इस बात का जरूर ध्यान रखे की रात्रि 2 बजकर 23 मिनट के बाद स्नान करने के बाद खीर बनाए और उसे छत पर या आंगन में खुले आसमान के नीचे रखे.
चंद्रमा की अमृत वर्षा 2.23 मिनट रात्रि के बाद पूर्णरूप से होंगी. अतः आपके पास दो विकल्प होगा या तो आप शाम 4.05 बजे दिन के पहले खीर बना कर उसमे तिल कुशा डाल कर और अच्छा से ढक कर रख देंगे या रात्रिकाल 2.23 बजे के बाद तुरंत स्नान कर के जाकर अपने छत पर रख देंगे या तुरंत खीर बना कर भी रख सकते है. इसकी तैयारी पहले से ही आपकी होनी चाहिए और अपने भगवान को स्नान कर कपड़ा बदल कर भोग लगाए.
ग्रहण काल मे स्नान कर मानसिक जाप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है. यह ग्रहण भारत में देखा जायेगा इसलिए सभी सावधानी जरूर रखे.
चंद्र ग्रहण के समय क्या क्या नहीं करना चाहिए
– ग्रहण के दौरान घर के बाहर नहीं जाना चाहिए
– इस दिन गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए
– ग्रहण के समय भोजन भी नहीं किया जाता है
– गर्भवती महिलाएं को इस समय भगवान नाम का मानसिक जप स्मरण करना चाहिए और पेट पर गेरु (गाय) का गोबर का पतला लेप आदि लगाकर रखना चाहिए
– पेट पर चंदन लगा कर रखना चाहिए
ग्रहण सूतक काल में
- बाहर की यात्रा वर्जित
- मंदिर में प्रवेश वर्जित
- मूर्ति स्पर्श वर्जित
- मैथुन क्रिया वर्जित
- बना हुआ भोजन, दूध, दही, घी, इत्यादि में कुश रख देना चाहिए
चंद्रग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. सूतक काल के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य वर्जित है. पूजा पाठ सिर्फ मानसिक जप किया जाता है. लेकिन अगर आप ग्रहण काल में किसी का श्राद्ध करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं. सूतक काल के ये नियम बालक या वृद्ध व्यक्ति रोगी पर लागू नहीं होते.
चंद्र ग्रहण के समय क्या क्या नहीं करना चाहिए
चंद्रग्रहण के वक्त पूजा को लेकर शास्त्रों में यह नियम बताया गया है कि मूर्ति को स्पर्श करने की मनाही होती है, लेकिन आप अपने स्वाध्याय जप या फिर पाठ कर सकते हैं. भजन कीर्तन कर सकते हैं. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्वयं स्नान करने के बाद देवी-देवताओं के स्थान मंदिर को ठीक से साफ करें और गंगाजल से पवित्र करने के बाद ही फिर से पूजा आरंभ करें. ग्रहण अवधि समापन के बाद स्नान करने के उपरांत दान करने से हजार गुना फल प्राप्त होता है.
इस बार की चंद्रग्रहण का राशि अनुसार फल
मेष – घात
वृष – हानि
मिथुन – लाभ
कर्क – सुख
सिंह – मान हानि
कन्या – मृत्यु तुल्य कष्ट
तुला – स्त्री पीड़ा
वृश्चिक – सौख्य
धनु – चिंता
मकर – व्यथा
कुंभ – श्रीः
मीन – क्षती
ग्रहण काल की समाप्ति के बाद स्नान के बाद दान का बहुत बड़ा महत्व होता है.