जमशेदपुर.
पूरे देश में चल रहे “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के तहत 16 अक्टूबर को मनाए गए बाल विवाह मुक्त भारत दिवस के मौके पर गैर सरकारी संगठन कलामंदिर ,झारखंड के पूर्वी सिंहभूमजिले में 227 जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया. इन कार्यक्रमों मेंआंगन बाड़ी सेविका, महिलाओं, बच्चों और आम लोगों ने शपथ ली कि वे न तो बाल विवाह का समर्थन करेंगे और न इसे बर्दाश्त करेंगे. बड़े पैमाने पर हुए जिला स्तरीय कार्यक्रम माइकल जॉन ऑडिटोरियम में आयोजन किया गया. मौके पर उपस्थित पूर्वी सिंहभूम उप विकास आयुक्त मनीष कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी धालभूम पीयूष सिन्हा सहित सहायक पुलिस अधीक्षक जमशेदपुर, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी डॉ चंचल कुमारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी रजनीकांत मिश्रा ने हिस्सा लिया और इसे सफल बनाने में योगदान दिया.
माइकल जॉन ऑडिटोरियम में स्कूली छात्राओं ने रैली निकाली और बाल विवाह के विरुद्ध नारे लगाये तथा मंचासीन पदाधिकारियों की कलाई पर इस आशय का बैंड भी पहनाया. ऑडिटोरियम में उपस्थित लोगों ने मानव श्रंखला बना कर बाल विवाह के विरुद्ध अपनी सहमति दर्ज करायी. पथ संस्था द्वारा बल विवाह, घरेलू हिंसा और मानव तस्करी पर एक नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया.
उप विकास आयुक्त ने कोडरमा जिले के अपने कार्यकाल में हुए बाल विवाह के अनुभव सांझा करते हुए एक बालिका पायल कुमारी का जिक्र किया जिसने बाल विवाह का विरोध किया और संयुक्तराष्ट्र में इस विषय पर संबोधित भी किया. उन्होंने इसी तर्ज पर जिला में डिस्ट्रिक आइकन बनाने पर जोर दिया ताकि लड़कियों में आत्मविश्वास आ सके.
अनुमंडल पदाधिकारी धालभूम पीयूष सिन्हा ने बालिकाओं को जागरूक करने पर जोर दिया और छात्राओं को सलाह दी कि यदि बाल विवाह से संबंधित उन्हें किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है तो स्थानीय प्रशासन, बाल मित्र थाना या हेल्पलाइन नम्बर पर वे सूचना दें इस पर जरूर ही कार्यवाही की जायेगी.
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा बताया गया की 16 अक्टूबर 2023 को बाल विवाह के विरोध एक राज्यव्यापी जन जागरूकता अभियान (बाल विवाह से आजादी) करते हुए जमीनी स्तर पर सभी संबंधित हित धारकों जनमानस सहित की भागीदारी की जा रही है. इस जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य एक दिन में अधिकतम लोगों तक पहुंच बनाते हुए बाल विवाह के विरोध प्रतिबद्धता सुनिश्चित करना है. इसके तहत सभी प्रखंडों पंचायत ग्राम स्तर पर विभिन्न तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर जागरूक किया जा रहा है. हम सब का एक है संदेश बाल विवाह मुक्त हो देश
कलामंदिर के अलावा महिला कल्याण समिति के अंजलि बोस, श्रमजीवी महिला संगठन के पुरबी पाल, युवा के बर्नाली चक्रवर्ती, पीपल फॉर चेंज के शौभिक, आदर्श सेवा संस्था के उषा ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 (एनएचएफएस-2019-21 ) के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 20 से 24 आयुवर्ग के बीच की 23.3 प्रतिशत युवतियों का विवाह 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया था जबकि पूर्वी सिंहभूम जिले में 19 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की होने से पहले हो गया था.
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश के 300 से भी ज्यादा जिलों में चलाया जा रहा है. भारत से 2030 तक बाल विवाह के समग्र खात्मे के लक्ष्य के साथ पूरी तरह से महिलाओं के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान से देश के 160 गैर सरकारी संगठन जुड़े हुए हैं. सोलह अक्टूबर को इस अभियान के एक साल पूरे हुए. इस अर्से में पूरे देश में हजारों बाल विवाह रुकवाए गए और लाखों लोगों ने अपने गांवों और बस्तियों में बाल विवाह का चलन खत्म करने की शपथ ली.
गांवों में पूरे दिन इस अभियान के समर्थन में उतरे लोगों की चहल पहल रही और इस दौरान जमशेदपुर के 5, डुमरिया के 34 और धालभूमगढ़ के 25 स्कूलों में शिक्षकों की सहायता से विद्यार्थियों द्वारा रैली निकाली गयी. विद्यार्थियों को बाल विवाह से समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया तथा बाल विवाह न करने की शपथ दिलाई गयी साथ ही अपने समाज को इस संबंध में जागरूक करने को कहा गया.
कलामंदिर के उपाध्यक्ष अमिताभ घोष ने कहा, “बाल विवाह वो अपराध है जिसने सदियों से हमारे समाज को जकड़ रखा है. लेकिन नागरिक समाज और …(राज्य का नाम) सरकार द्वारा राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता और प्रयास जल्द ही एक ऐसे माहौल और तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेंगे जहां बच्चों के लिए ज्यादा सुरक्षित और निरापद वातावरण होगा. इन दोनों द्वारा साथ मिल कर उठाए गए कदमों और लागू किए गए कानूनों के साथ समाज व समुदाय की भागीदारी 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत सुनिश्चित करेंगी.