- राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) बर्मामाइंस के सभागार में आयोजित हुआ समापन समारोह
- एक से आठ सितंबर पर चला हिंदी दिवस सप्ताह समारोह
जमशेदपुर.
भारत में 22 भाषाओं और विविधताओं के बीच हिंदी वह भाषा है जो हिंदुस्तान के दिलों को जोड़ती है. अंग्रेजों की गुलामी से आजाद भारत में राष्ट्रभाषा की मान्यता के लिए लड़ाई लड़ रही हिंदी भारत के राजभाषा दर्जा के साथ देश के ग्यारह प्रदेश में भी प्रमुख राजभाषा के तौर पर शामिल है. आजादी से लेकर अब तक सरकार स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार या उसे राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के लिए जो प्रयास किए जाने थे, वह अब तक नहीं किए गए हैं. खैर 1953 यानी 70 वर्ष से देश भर में विभिन्न संस्थाएं, संगठन हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए काम कर रही है. कार्यक्रम प्रतियोगिता के माध्यम से हिंदी के महत्व को सामने रखने का काम संस्थाएं कर रही हैं. इसी में एक है नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकस). नराकस जमशेदपुर की ओर से प्रत्येक वर्ष सप्ताहिक समारोह का आयोजन होता है.
इस वर्ष भी सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला में हिंदी सप्ताह समारोह-2023 का आयोजन एक से आठ सितंबर तक आयोजित किया गया. इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों, नाटक और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल बर्मामाइंस) सभागार में आज सप्ताहिक समारोह का समापन सह पुरस्कार वितरण कार्यकम का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला, जमशेदपुर के वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक डॉ संदीप घोष चौधुरी ने कहा कि हिंदी संसार की सबसे सरल भाषा है. इसका मुख्य कारण यह है कि वह जैसी बोली जाती है, वैसी ही लिखी जाती है. देश की स्वतंत्रता के बाद हिंदी को भारत की राजभाषा होने का गौरव प्राप्त हुआ. हिन्दी आदिकाल से ही अपनी आन्तरिक ऊर्जा से सरलता, सहजता, बोधगम्यता और समन्वय की भावना से निरंतर प्रगति करती रही है. राजभाषा हिंदी ने कभी भी अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने की पहल नहीं की, अपितु सबको लेकर चलना ही इसकी संस्कृति की विशिष्टंता है. इस पुनीत अवसर पर में आप सभी से पूरी गरिमा और गौरव के बोध से भटकर हिंदी में ज्यादा से ज्यादा कार्य करने का निवेदन करता है.
इस अवसर पर जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग प्रमुख ने मुख्य अतिथि के रूप में श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी पूरे विश्व में बोली और समझी जाती है. एक अरब से ज्यादा लोग हिंदी से पूरी तरह परिचित हैं. यह खुशी की बात है कि एनएमएल जैसी वैज्ञानिक प्रयोगशाला में भी शोध-पत्रों का प्रकाशन हिन्दी में होता है. हिंदी सरल सहज और पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा है.
प्रयोगशाला के वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी (चयन ग्रेड) डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने इस अवसर पर भारत सरकार की राजभाषा नीति पर प्रकाश डाला और भारत सरकार के राजभाषा के संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी दी. धन्यवाद ज्ञापन प्रयोगशाला के प्रशासनिक अधिकारी आदित्य मैनाक ने किया. वहीं सप्ताह पर भर चले विभिन्न प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया.
नाटक बूढ़ा बच्चा ने मर्म को छू लिया
समापन समारोह के दौरान नाट्यकार शिवलाल सागर द्वारा निर्देशित नाटक बूढ़ा बच्चा का मंचन किया गया. पारिवारिक तानेबाने के बीच बूना गए नाटक की कहानी ने सभी के दिलों को छूते हुए मार्मिक भाव उत्पन्न कर दिया और सभी के आंखों को भिंगो दिया. नाटक की काफी सराहना की गयी. नाटक एक वृद्ध माता पिता और उनके संतान के बीच के कहानी को चित्रित कर रही थी.
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