- भारत का चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक लैंडिंग कर दुनिया का पहला देश बन गया है
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरे देश ने दी इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई और धन्यवाद
जमशेदपुर.
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान, जय किसान और अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा बोला गया जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, नारा आज अपनी बुलंदी पर है. भारत के वैज्ञानिकों ने हमेशा से अपनी क्षमता का अहसास दुनिया को कराया है. लेकिन आज चंद्रयान 3 की सफलता ने देश दुनिया में इसरो और भारत के वैज्ञानिकों का कद और भी ऊंचा कर दिया है.
भारत ने इतिहास रच दिया है, चंद्रयान-3 के चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग होते ही हर घर में खुशियों से झूम उठा और भारत माता के जयघोष से हर गली मुहल्ला गुंज उठा. अमेरिका चीन और रूस के बाद भारत चौथा देश बन गया है जिसने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की है. वहीं दक्षिणी ध्रुव में लैंडिंग करने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया है.
14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 का जो मिशन शुरू हुआ था आज वह मिशन एक नया अध्याय लिख चुका है, चंद्रयान-1 और चंद्रयान 2 की अधूरी सफलता के बाद अब चंद्रयान-3 ने भारत के लोगों को वह मौका दिया है जिस मौके का इंतजार पूरे भारतवासी बेसब्री से कर रहे थे.
मंदिरों में बजने लगी घंटी और भारत माता की जय, जय हिंद से गूंज उठा हर घर
जैसे ही खबर मिली कि चंद्रयान-3 चांद की सतह पर शॉफ्ट लैंडिंग कर चुका है उसके बाद भारत के कोने-कोने में इसको लेकर खुशियां मनाई जा रही है. कहीं पूजा आरती हो रही है तो कहीं लड्डू बांटे जा रहे हैं. पूरे देश में खुशी की लहर है. मंदिरों में घंटी बजने लगी और भारत माता की जय, जय हिंद जैसे नारों से हर घर गूंज उठा. वहीं इस सफलता से पूरे विश्व की निगाहें अब भारत की और टिक गई हैं.
चंद्रयान 3 की सफलता के बाद हम सभी के लिए यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर इससे भारत या विश्व के परिपेक्षय में क्या फायदे होने वाले हैं
माना जा रहा है कि भारत मिशन मून के जरिए दूसरे देशों पर बढ़त हासिल कर लेगा. कहा जा रहा है कि चंद्रयान-3 के जरिए भारत एक ऐसे अनमोल खजाने की खोज कर सकता है जिससे न केवल अगले करीब 500 वर्षों तक इंसानी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकता है बल्कि खरबों डॉलर की कमाई भी हो सकती है.
चांद से मिलने वाली यह ऊर्जा न केवल सुरक्षित होगी बल्कि तेल, कोयले और परमाणु कचरे से होने वाले प्रदूषण से मुक्त होगी. स्पेक्टोमीटर (एपीएक्सएस) की मदद से सात धातुओं की खोज का भी प्रयास होगा. इनमें मैग्नीशियम, सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम, टाइटेनियम, आयरन और एलुमिनियम शामिल है। इस उपकरण से निकलने वाली किरणें इन धातुओं को खोजने का प्रयास करेंगी.
इसके पीछे मकसद यह देखना है कि क्या वहां ऐसी धातुएं अभी हैं या कभी थीं, जो इंसानी जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं. इससे चंद्रमा की संरचना को समझने में भी मदद मिलेगी. धातुओं से ही यह पता चलेगा कि चांद इंसानी जीवन के लिए कितना उपयोगी है.
कुल मिलाकर चंद्रयान 3 मिशन की सफलता भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है साथ ही यह मिशन भविष्य में अंतरिक्ष शोध की नई संभावनाओं को भी जन्म देगा. एक बार फिर से पूरे देश वासियों और इस मिशन में लगे इसरो के तमाम वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई. जय हिंद.