- जो अकाउंट फ्रिज ही नहीं हुआ उसे अनफ्रिज किए जाने का बैंक को भेजा गया पत्र, बढ़ा शक
- वित्त पदाधिकारी ने सभी कॉलेजों के लेनदेन पर लगाई रोक
चाईबासा.
कोल्हान विश्वविद्यालय के टाटा कॉलेज से 1.56 करोड़ रुपए अवैध निकासी मामले में विवि के कुलसचिव डॉ परशुराम सियाल के बयान पर चाईबासा के मुफ्फसिल थाना में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है. मामले में पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजर और जिन दो एजेंसियों के खाते में राशि भेजी गई है उन्हें आरोपी बनाया गया है. वहीं कॉलेज के लेटरपैड (एडवाइस लेटर) पर विवि के वित्त पदाधिकारी द्वारा उक्त अकाउंट को अनफ्रिज किए जाने का जारी किया गया पत्र ने नया मोड़ ला दिया है. जो अकाउंट फ्रिज ही नहीं हुआ आखिर उसे अनफ्रिज किए जाने का पत्र क्यों जारी किया गया था. यही नहीं इस पत्र के साथ एक नया चेक भी भुगतान के लिए बैंक भेजा गया था. जानकारी के अनुसार जो चेक भुगतान के लिए भेजा गया उसमें जो राशि लिखी गई थी उतनी राशि विवि के खाते में राशि नहीं थी. इस बात से बैंक मैनेजर को शंका हुई और उन्होंने मामले को सामने लाया. बैंक मैनेजर को लगा कि जो एकाउंट फ्रिज ही नहीं किया गया उसके अनफ्रिज करने का पत्र विवि से कैसे भेजा गया, साथ ही खाते में शेष राशि से ज्यादा राशि का चेक भुगतान के लिए कैसे जारी किया गया है? जानकारी के अनुसार 1.56 करोड़ रुपए निकासी के बाद विवि के एकाउंट में 38 लाख रुपए से भी कम की राशि बची है. जबकि जो चेक भेजा गया उसकी राशि करोड़ों रुपए में थी. हालांकि इस मामले को सामने लाने वाले बैंक मैनेजर को भी आरोपी बनाया गया है. यह पूरा मामला जहां एक ओर फर्जीवाड़ा, चेक क्लोनिंग से जुड़ा है वहीं दूसरी ओर विवि और कॉलेज के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर भी शक की सुई को घूमा रही है.
राजभवन पहुंचा मामला
इस पत्र इस मामले को लेकर राजभवन भी काफी सख्त कार्रवाई की तैयारी में है. मामले की बनाई गई जांच कमेटी ने बुधवार देर शाम तक टाटा कॉलेज चाईबासा और कोल्हान विवि के अधिकारियों से पूछताछ की है. वहीं जांच टीम द्वारा पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजर और अधिकारियों से भी पूछताछ किए जाने की सूचना भी प्राप्त हुई है.
Breaking: टाटा कॉलेज चाईबासा से 1 करोड़ 56 लाख की हुई अवैध निकासी, जांच कमेटी गठित, एफआईआर की तैयारी
एजेंसी वेंडर है या नहीं इसका अब तक नहीं चला पता
आश्चर्य की बात है कि टाटा कॉलेज के जिस एकाउंट से कटक और रामगढ़ के दो अलग अलग एजेंसियों के खाते में राशि भेजी गई है यह दोनों एजेंसी टाटा कॉलेज या विवि के वेंडर है भी या नहीं, इसका जानकारी भी 30-40 घंटे में विवि जिम्मेदारी अधिकारी नहीं लगा पाए. मामले में शिकायतकर्ता और विवि के कुलसचिव डॉ परशुराम सियाल से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका पता लगाया जा रहा है. सबसे बड़ी बात है कि जो भी एजेंसी कॉलेज या विवि के लिए काम करती है, वह पंजीकृत होती है और उनका लिस्ट होता है. ऐसे में यह एजेंसी विवि या टाटा कॉलेज की वेंडर है या नहीं यह तो तत्काल स्पष्ट हो जाना चाहिए.
मिलीभगत या फर्जीवाड़ा
यह मामला पूरी तरह से मिलीभगत से अंजाम दिया गया है. जिस तरह से फर्जी चेक या क्लोन किये हुए चेक से इतनी बड़ी राशि का भुगतान किया गया है इसमें यह साफ होता है कि बगैर मिलीभगत के संभव नहीं है. अगर बैंक के अधिकारी इस मामले में शामिल हैं, तो विवि के कोई अधिकारी, कर्मचारी इसमें शामिल नहीं होंगे ऐसा नहीं हो सकता है. चेक विवि के लेखा विभाग में होता है, चेक क्लोनिंग के लिए चेक नंबर या उसकी फोटो भेजी गई होगी, जाे एडवाइस लेटर राशि भुगतान के लिए बैंक को भेजा गया वह टाटा कॉलेज का लेटरपैड है जबकि उसमें हस्ताक्षर विवि के वित्त पदाधिकारी बीके सिंह और डीएसडब्ल्यू सह टाटा कॉलेज के प्राचार्य डॉ एससी दास का है. यह मामला ऐसे भी संदेहास्पद है कि किसी कॉलेज के लेटरपैड पर विवि के पदाधिकारियों द्वारा इस्तेमाल कैसे हो सकता है?
इधर छह माह से वेतन के आस में हैं संविदा कर्मी
मालूम हो कि जहां एक ओर विवि के एकाउंट से फर्जी तौर पर करोड़ों रुपए की निकासी की गई है, वहीं उसी विवि में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को पिछले छह से वेतन भुगतान नहीं किया गया है. इसमें अधिकतर संविदा कर्मी ऑफिस वर्क और कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर कार्यरत हैं.
कहीं जांच और फाइल में ही न रह जाए पूरा मामला
विवि से हुए इस फर्जीवाड़ा में कार्रवाई कहां तक होती है आने वाला वक्त तय करेगा. लेकिन जानकार बताते हैं कि अगर इस मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी को नहीं दी गई, तो यह जांच प्रक्रिया वर्षों तक पूरी नहीं होगी और यह ठंडे बस्ते में ही रह जाएगी. विवि सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जांच सीआईडी या सीबीआई से करानी चाहिए.
इधर लेनदेन, भुगतान पर एफओ ने लगाई रोक
जानकारी के अनुसार कोल्हान विवि के वित्त पदाधिकारी डॉ बीके सिंह ने विवि के अधीन सभी महाविद्यालय प्रबंधन को किसी तरह के लेनदेन और राशि भुगतान पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है. इसमें आवश्यकता आधारित शिक्षक और संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों का मानदेय भी है जिसके भुगतान पर रोक लगाई गई है.
कोट :
मामले में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है. इसमें बैंक मैनेजर और उन दोनों एजेंसियों जिनके एकाउंट में राशि का भुगतान किया गया है, उनके नाम पर मुकदमा दायर किया गया है. दोनों एजेंसी कॉलेज या विवि के वेंडर है या नहीं इसकी जांच अभी चल रही है. विवि के अधिकारियों की संलिप्तता है या नहीं, अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. मामले में जांच चल रही है.
डॉ परशुराम सियाल, कुलसचिव, कोल्हान विश्वविद्यालय