- वीआर मीडिया एंड प्रोडक्शन के सहयोग से आयोजित कैंपस समर इवेंट कॉम्पिटिशन 2025
- 30 अप्रैल तक आप भी भेज सकते हैं अपनी स्वलिखित कविता और कहानी
वीआर मीडिया एंड प्रोडक्शन के सहयोग से कैंपस बूम लगातार तीसरे वर्ष कैंपस समर इवेंट 2025 का आयोजन कर रहा है. इस प्रतियोगिता का सीधा उद्देश्य है बच्चों के अंदर की रचनात्मक और कलात्मक कला का एक मंच प्रदान करना. इस वर्ष यह तय किया गया है कि बच्चों से प्राप्त जो भी कहानी और कविता प्राप्त होगी, उसे कैंपस बूम के पोर्टल पर स्थान दिया जाएगा. साथ ही घोषणा के अनुसार प्रकाशित होने वाली पुस्तक में भी हर श्रेष्ठ कविताओं को स्थान दिया जाएगा. इस प्रतियोगिता की घोषणा के बाद से विभिन्न स्कूल के बच्चों से उनकी रचनाएं प्राप्त हो रही हैं, और हर दिन उसके प्रकाशन की जानकारी ली जा रही है. आप सभी विद्यार्थियों और प्रतिभागियों की प्रतीक्षा समाप्त हुई, आज से एक एक कर सभी प्राप्त कहानी, कविताओं को पोर्टल पर प्रकाशित किया जा रहा है. आज पढ़िए जमशेदपुर के टेल्को स्थित संत जेवियर स्कूल, गम्हरिया के 12वीं कक्षा की छात्रा दिव्यांशी मिश्रा की यह कविता.
कैंपस इवेंट 2025: हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के, हर डर को हराया है, उसे ख्वाबों में ढाल के…
दिव्यांशी मिश्रा, संत जेवियर स्कूल, गम्हरिया
इंकार नहीं, अधिकार हूँ मैं
मैं लड़की हूँ
एक एहसास हूँ,
कभी चुप्पी, कभी उल्लास हूँ।
तन्हा नहीं, मगर थमी-सी हूँ,
हर दिशा में बँटी, मगर सजी-सी हूँ।
मैं फूल हूँ — पर काँटों को भी जानती हूँ,
हर मुस्कान में एक सिसकी पहचानती हूँ।
कभी पूजी गई, कभी ठुकराई भी,
हर मोड़ पर कसौटी पर तुलाई भी।
चलती हूँ तो नज़रें उठती हैं,
रुक जाऊँ तो आवाज़ें झुकती हैं।
मैं बस जीना चाहती हूँ सुकून से,
बिना किसी जाँच, बिना किसी जुनून से।
क्या मेरी हँसी भी इजाज़त माँगे?
क्या मेरी खामोशी भी जवाब मांगे?
मैं भी दिल रखती हूँ, मैं भी सपने देखती हूँ,
मैं भी खुली हवा में साँस लेना चाहती हूँ।
मैं विरोध नहीं, पर सवाल हूँ,
मैं डर नहीं, एक उजाल हूँ।
मैं समझती हूँ सीमाएँ, पर ख़ुद को भी जानती हूँ,
सम्मान करती हूँ, पर अपमान नहीं मानती हूँ।
क्यों हर बार मेरी चुप्पी को सहमति समझा जाता है?
क्यों मेरे अस्तित्व को ही तमाशा बनाया जाता है?
मैं लड़की हूँ — पर क्या मैं सिर्फ़ एक नाम हूँ?
या एक शरीर का ही संग्राम हूँ?
नहीं…
मैं संवेदना हूँ, शक्ति भी हूँ,
मैं शांति की गूँज, और संघर्ष की दृष्टि भी हूँ।
बस इतना ही चाहती हूँ —
एक जगह जहाँ मेरा वजूद, मेरा मन,
बिना डरे — खुलकर साँस ले सके हर क्षण।
मैं लड़की हूँ —
मैं लड़की हूँ —
कोई परछाईं नहीं,
मैं हर सवाल की जवाब हूँ — कोई रुसवाई नहीं।
मैं सिर्फ़ सहने को नहीं बनी — मैं रचने को बनी हूँ,
हर बंद दरवाज़े को तोड़ने,
हर नई राह को छूने को बनी हूँ।
अब नहीं झुकूँगी, अब नहीं रुकूँगी,
अपने सपनों की चिंगारी से खुद को फिर से लिखूँगी।
मैं इंकलाब हूँ — एक चलता हुआ तूफ़ान,
जिस दिन मेरी आवाज़ गूंजेगी — काँप उठेगा हर इंसान।
नोट: वीआर मीडिया एंड प्रोडक्शन के सहयोग से आयोजित कैंपस समर इवेंट कॉम्पिटिशन 2025 में आप भी हिस्सा ले सकते हैं. अगर आप कक्षा तीसरी से बारहवीं के विद्यार्थी हैं और हिंदी कविता, कहानी लिखते हैं, तो आपके लिए यह सुनहरा अवसर है. आप भी अपनी स्वलिखित कविता कहानी आज ही लिख भेजिए. अधिक जानकारी के लिए इस लिंक Summer Event 2025: क्या आप भी है रचनाकार, तो आपके सपनों को कैंपस करेगा साकार, पुस्तक में छपने का मिलेगा अवसर, लिख भेजिए अपनी कविता-कहानी पर जाकर देखें