- लोयोला स्कूल बिस्टुपुर और टेल्को के सहकर्मियों को पॉक्सो और जुवेनाइल जस्टिस कानून की दी गई जानकारी
जमशेदपुर.
लोयोला स्कूल बिस्टुपुर और लोयोला टेल्को के सहकर्मियों को बाल यौन शोषण एवं बच्चों का सुरक्षित परिवेश पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसके अंतर्गत आनेवाले दो क़ानून पॉक्सो और जुवेनाइल जस्टिस क़ानून पर प्रकाश डाला गया.
इस कार्यशाला में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया. चंदना बोस ने कार्यशाला का नेतृत्व किया और बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के तरीकों पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि कैसे बच्चे अक्सर घर में असहज महसूस करते हैं, लेकिन अव्यवहारिकता या समाज के दबाव के कारण इस विषय पर खुलकर बात नहीं कर पाते. इसके विपरीत, स्कूल में ये मुद्दे अधिक स्पष्ट रूप से सामने आ सकते हैं और इसलिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है। उन्होंने “पॉक्सो” (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012) और “जुवेनाइल जस्टिस” कानून (2015) पर विस्तार से जानकारी दी, जो बच्चों के यौन शोषण और अन्य अपराधों से उनकी रक्षा करते हैं.
पॉक्सो कानून के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ यौन शोषण को दंडनीय अपराध माना गया है. 2019 में इस कानून में संशोधन कर इसे और कठोर बना दिया गया, जिसमें आजीवन कारावास जैसी कठोर सजा का प्रावधान है. जुवेनाइल जस्टिस कानून के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के अपराधियों को सुधार गृह में रखा जाता है, न कि जेल में.
इस कार्यशाला में इस बात पर भी जोर दिया गया कि बच्चों के प्रति संवेदनशील रहना आवश्यक है और उनकी सुरक्षा के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा क्लासरूम में या वॉशरूम जाते समय असहज महसूस करता है तो शिक्षक व स्कूल सहकर्मी को इस पर ध्यान देना चाहिए. बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए स्कूलों में जागरूकता बढ़ाना सभी की जिम्मेदारी है.
बाल यौन शोषण के खिलाफ जागरूकता फैलाना, बच्चों को सुरक्षित वातावरण देना, और उचित शब्दों का प्रयोग करना आवश्यक है ताकि वे एक सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण में बड़े हो सकें. इस कार्यशाला में प्राचार्य फादर विनोद फ़र्नांडीज़, फादर के एम जोसेफ, उपप्राचार्य विनीता एक्का, फादर जेरी और सभी सह कर्मी उपस्थित थे.