- इंटरमीडिएट के शिक्षकों और कर्मचारियों के समायोजन पर होगी सकारात्मक पहल: शिक्षा मंत्री
- शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से विशेष बातचीत
जमशेदपुर.
राज्य के सभी विश्वविद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालयों में संचालित इंटरमीडिएट की सीटें नहीं घटाई जाएगी, इसको लेकर शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कैंपस बूम से विशेष बातचीत में सवाल के जवाब में कहा है. उन्होंने कहा कि सीट की संख्या न घटे इसको लेकर विभाग के अधिकारियों से चर्चा करने के बाद उचित फैसला लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि इंटरमीडिएट के दाखिला के लिए जब तक सरकार ने छूट अनुमति दिया है तब तक सभी विवि, कॉलेज दाखिला लें. शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू तो करना है, लेकिन राज्य में इंटरमीडिएट को लेकर जब तक सारी मूलभूत सुविधा और पूरी तरह से सेटअप तैयार नहीं कर लिया जाता है तब तक डिग्री कॉलेजों से एकाएक पढ़ाई को बंद नहीं किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने का संकल्प शिक्षा विभाग और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने लिया है. कदाचार मुक्त परीक्षा को लेकर सरकार अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. किसी भी परिस्थिति में दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा.
सीट संख्या घटी तो यह पड़ेगा असर
अंगीभूत महाविद्यालयों में संचालित इंटरमीडिएट में पिछले सत्र में 384 सीटों पर दाखिला लिया गया था, जिसे घटा कर 256 किए जाने की बात कही जा रही है. डिग्री कॉलेज से इंटरमीडिएट को बंद करने लिए वर्ष 2022 से चरणबद्ध तरीके से सीटों की संख्या घटाई जा रही है. जहां पहले 640 सीटों पर दाखिला होता था, वहीं वर्ष 2023 में इसे घटा कर 512 किया गया, तो इसी तरह वर्ष 2024 में यह घटा कर 384 कर दिया गया, अब वर्ष 2025 में इसे घटा कर 256 किए जाने की बात सामने आ रही है. सौ से भी ज्यादा सीट घटाए जाने से इसका व्यापक असर पड़ेगा. दरअसल डिग्री कॉलेज में संचालित इंटरमीडिएट स्वपोषित पढ़ाई है यानी छात्रों द्वारा दी जाने वाली शुल्क की राशि से ही शिक्षक और इंटर के तृतीय और चतुर्थ वर्ग कर्मियों का मानदेय भुगतान किया जाता है. ऐसे में जहां एक ओर सीट की संख्या घटाए जाने के बाद विद्यार्थियों को समस्या होगी, वहीं दूसरी ओर शिक्षक और स्टॉफ को मानदेय की राशि देना भी बड़ी चुनौती होगी.
इधर कॉलेजों के प्राचार्य ने की बैठक, मानदेय घटाने या शुल्क बढ़ाने पर विचार
इधर इंटरमीडिएट की संख्या घटाने को लेकर होने वाली समस्या को देखते हुए कई अंगीभूत महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने बैठक की है. चुकी इंटरमीडिएट स्वपोषित कोर्स है यानी छात्रों से प्राप्त दाखिला शुल्क से ही शिक्षक, स्टॉफ को मानदेय दिया जाता है. सीट संख्या घटाए जाने से आमदनी कम होगी, तो शिक्षक स्टॉफ को मानदेय देने में भी परेशानी होगी. अपने अपने कॉलेजों में हुई प्राचार्यों की बैठक में शिक्षक और स्टॉफ के मानदेय घटाने तो शुल्क बढ़ाने जैसे विकल्प पर विचार किया जा रहा है. यह दोनों विकल्प ही एक नई समस्या और चुनौती खड़ा कर सकती है. दरअसल अगर शुल्क बढ़ाया जाता है, तो इसका सीधा असर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के पॉकेट पर पड़ेगा, वहीं अगर शिक्षक स्टॉफ का मानदेय घटाया जाता है, तो मामूली मानदेय पर काम कर रहे शिक्षक और स्टॉफ को आर्थिक नुकसान होगा.
तय मजदूरी दर से भी कम मानदेय पर शिक्षक, स्टॉफ दे रहे सेवा
इंटरमीडिएट में पढ़ा रहे शिक्षक और काम कर रहे तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को एक आम मजदूर के तय दैनिक हाजिरी से भी कम मानदेय दिया जाता है. बावजूद शैक्षणिक कार्य से जुड़े होने के कारण शिक्षकों के पास अब दूसरा कोई काम नहीं है. आश्चर्य की बात है कि शिक्षकों को 12 हजार, तृर्तीय वर्ग कर्मी को आठ हजार तो चतुर्थ वर्ग कर्मी को महज छह हजार रुपए ही मानदेय दिया जाता है. संविदा पर काम कर रहे इंटर के शिक्षकों के सामने अपने भविष्य को लेकर भी बड़ी चुनौती बनी हुई है. हालांकि उन्हें सरकार से सकारात्मक पहल की उम्मीद है.
शिक्षकों-कर्मचारियों के समायोजन पर हो रही है सकारात्मक पहल
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इंटरमीडिएट के शिक्षकों और स्टॉफ के सामने नौकरी पर खतरा के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि शिक्षकों और स्टाॅफ के समायोजन का मामला सरकार के पॉलिसी मैटर से जुड़ा है, लेकिन विभाग और सरकार इसको लेकर गंभीर है और सकारात्मक पहल की जा रही है. किसी भी शिक्षक को बेरोजगार नहीं होने दिया जाएगा. आने वाले समय में शिक्षकों के पक्ष में बेहतर फैसला होने की उम्मीद शिक्षा मंत्री ने जताई है. मालूम हो कि शिक्षक स्टाॅफ का संगठन अपनी आजीविका बचाने के लिए कई वर्ष से आंदोलनरत है और शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक अपने समायोजन की गुहार लगा चुका है. इस बार शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से शिक्षकों और स्टॉफ को काफी उम्मीदें हैं.