- वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए मल्टीडीसीप्लिनरी सेमिनार आवश्यक : प्रो डाॅ अशोक कुमार झा
- एलबीएसएम कॉलेज में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
जमशेदपुर.
एलबीएसएम महाविद्यालय, करनडीह, जमशेदपुर में “ग्लोबल इश्यूज इन मल्टी डिसिप्लिनरी एकेडमिक रिसर्च” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन रविवार को हुआ.
राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए एलबीएसएम महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अशोक कुमार झा ने कहा कि संगोष्ठियां और सेमिनार ज्ञान की अभिव्यक्ति के माध्यम होते हैं. वर्तमान समय में अपने देश को वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए एकेडमिक विकास, विभिन्न विषयों पर शोध और उनके प्रस्तुतिकरण के लिए मल्टीडीसीप्लिनरी सेमिनारों की बहुत आवश्यकता है.
शोध में मुख्य चार बातों का ध्यान जरूर रखे : डॉ अविनाश
प्रथम रिसोर्स पर्सन काशी विद्यापीठ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अविनाश कुमार सिंह ने ‘हिंदी साहित्य: वैश्विक संदर्भ और सामाजिक समाधान’ पर बोलते हुए कहा कि साहित्य में मौजूद ग्लोबल (वैश्विक) और लोकल (स्थनीक) के बीच अंतर नहीं होता. हर घटना जो वैश्विक होती है वह स्थानीय भी होती है. इसलिए ग्लोबल और लोकल का द्वंदात्मक मुद्दा नहीं होना चाहिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी के भी स्थानीय संदर्भ थे. उन्होंने हिंदी साहित्य और विश्व साहित्य से इस तरह के कई संदर्भ दिए और बताया कि फणीश्वर नाथ रेणु ने अपनी किताब मैला आंचल में चिकित्सा के क्षेत्र में होने वाले वैश्विक कारोबार का जिक्र किया है. उन्होंने अल्बेयर काम के ‘प्लेग’ उपन्यास की भी चर्चा की.
डाॅ अविनाश कुमार सिंह ने कहा कि शोध की योजना बनाते समय कम से कम चार चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए. इसके लिए यूजीसी ने स्ट्रीड (जैसे नॉर्म्स को 2019 में लागू किया, जिसका अर्थ है- स्कीम फॉर ट्रांस डिसीप्लिनरी. इसमें चार कारकों की आवश्यकता महसूस की गई कि शोध पहले सोशली रेलीवेंट हो, दूसरा लोकली नीड बेस्ड हो, तीसरा नेशनली रेलिवेंट हो, और चौथा ग्लोबल सिग्निफिकेंट हो. ये चारों चीजें ही किसी शोध को महत्वपूर्ण बनाती हैं, उसको एक वैश्विक पहचान देती है.
भारत की वर्तमान राजनीतिक चुनौतियां : डाॅ. संतोष कुमार खत्री
दूसरे रिसोर्स पर्सन डॉ संतोष कुमार खत्री ने भारत की वर्तमान राजनीतिक चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि ये चुनौतियां
पारंपरिक हैं, पर इनके स्वरूप और परिप्रेक्ष्य में परिवर्तन भी आया है. उन्होंने कहा कि इन परिवर्तनों के पीछे कई कारण हैं, जैसे आधारभूत विचारधारा का अभाव होना, विचारधाराओं का स्वार्थपरक होना, क्षेत्रीय राजनीतिक शक्तियों का हावी होना, सांप्रदायिकता का विकास होना, राजनीति में मीडिया का बढ़ता प्रभाव, राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की कमी, सभी राजनीतिक दलों में वंशवाद की परंपरा को बढ़ावा मिलना आदि.
तीसरे रिसोर्स पर्सन डॉक्टर राममिलन कुम्हार ने भारत में महिला सशक्तिकरण विषय पर बोलते हुए कहा कि महिलाओं को अधिकार देना उनके व्यक्तित्व और उनकी क्षमता के विकास के लिए अति आवश्यक है. उन्होंने भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी पर विस्तार से चर्चा की.
टेक्निकल सत्र के अध्यक्ष डॉ डीके मित्रा ने कई प्रकार की वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च की जरूरत की चर्चा की और इसे बढ़ावा देने का समर्थन किया.
दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में लगभग 170 प्रतिभागियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये
दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में लगभग 170 प्रतिभागियों ने हाइब्रिड मोड (ऑनलाइन एवं ऑफलाइन) से जुड़कर ग्लोबल इश्यूज इन मल्टी डिसिप्लिनरी एकेडमिक रिसर्च को समझा. प्रथम दिन तीनों सत्रों में कुल 68 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए जबकि दूसरे दिन ऑनलाइन मोड से 102 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए.
इन्होंने प्रस्तुत किए शोध पत्र
डॉ विजय प्रकाश, डॉ मौसमी पॉल, डॉ संचिता भुई सेन, प्रो अरविंद पंडित, डॉ विश्वनाथ सरकार (श्री चैतन्य कॉलेज, पश्चिम बंगाल), डॉ सुनीता मित्रा सरकार (सबंग सजनीकांत महाविद्यालय, मेदिनीपुर, प. बंगाल) भी उपस्थित थे. एनवायरमेंटल पॉलिसी एंड पॉलीटिकल स्टेबिलिटी इन इंडिया ए कंप्रिहेंसिव एनालिसिस पर खुशबू कुमारी, ‘रिप्रोडक्टिव हेल्थ अवेयरनेश अमोन्ग यंग एदडरोलसेंस इन इंडिया’ विषय पर बी आर आभा आयुश्री, ‘ग्लोबल वार्मिंग’ पर अक्षता शर्मा, ‘प्राचीन भारत में आयुर्वेद विज्ञान का विकास’ विषय पर डाॅ गरिमा भारती, ‘ए रिव्यू ऑन ओक्यूपेशनल हेल्थ हज़ार्ड्स औफ़ फ़ार्म वुमन इन ऐग्रिकल्चर इन इंडिया ‘ पर मोनलिसा मुंडा, ‘रोल ऑफ जीएसटी इन एकनॉमिक ग्रोथ इन इंडिया’ पर अमन अभिषेक ‘इवेल्यूएटिंग एम्प्लाॅयमेंट पोटेंशियल ऑफ द जल जीवन मिशन’ विषय पर मंजूरी डेका और ‘बिहार में कृषि और महिला सशक्तीकरण’ पर अभिषेक आनन्द ने आज प्रमुख रूप से शोध पत्र प्रस्तुत किया. टेक्निकल सत्र की अध्यक्षता परशुराम सियाल ने भी की. कार्यक्रम का समापन भाषण संयोजक डॉ विनय कुमार गुप्ता ने दिया.