- वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता जेपी सिंह ने शहर के मजदूरों के संघर्ष के संपूर्ण इतिहास को 72 पृष्ठों में समाया
जमशेदपुर.
वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता जेपी सिंह की पुस्तक ‘शहादतनामा’ का विमोचन ज्ञानपीठ अवार्ड विजेता जयनन्दन ने किया. पुस्तक का विमोचन शहीद हजारा सिंह के शहादत के 85 साल पूरे होने के अवसर पर हुआ. यह अवसर लेखक जेपीसिंह-सुनीता सिंह के दांपत्य जीवन की 60वीं वर्षगांठ के कारण भी महत्वपूर्ण हो गया.
वरिष्ठ साहित्यकार जयनन्दन ने ‘शहादतनामा’ को जमशेदपुर में मजदूरों के संघर्ष, कुर्बानियां, शहादतें और इसके इर्द-गिर्द सांप्रदायिक सौहार्द को मिलती रही चुनौतियों का आईना बताया. उन्होंने कहा कि महज 72 पृष्ठों में संपूर्ण इतिहास कुछ इस कदर तथ्यों को समेटा गया है कि यह ऐतिहासिक दस्तावेज की कुंजिका बन गई है. लेखक का निजी संघर्षमय जीवन भी इन पन्नों में साफ-साफ दिखाई देता है. इसमें संदेह नहीं कि मजूदरों की बेहिसाब कुर्बानियों की बदलौत ही औद्योगिक शांति बनी है. और, यह भी सच है कि इस शांति को बनाए और बचाए रखने के लिए भी मजदूरों से ही आगे भी कुर्बानी की अपेक्षा रहने वाली है.
प्रभात खबर के संपादक और समारोह में मुख्य वक्ता संजय मिश्र ने ‘शहादतनामा’ को पूरे समाज की उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि जेपी सिंह जैसे लोग समाज का आईना है. उनका संघर्ष और इस संघर्षमय जीवन से अतीत की ओर झांकते हुए अनुभवों के जरिए घटनाओं को आंकते हुए लिखा गया ‘शहादतनामा’ लोगों मे अतीत के प्रति जिज्ञासा पैदा करेगी.
लेखक जेपी सिंह के अभिन्न मित्र व साहित्यकार अरविन्द विद्रोही ने कहा कि मेल्टिंग-ब्वायलिंग मिल में काम करने वाले मजदूरों के हाथों में जब कलम आती है तो ‘शहादतनामा’ का जन्म होता है. लेखक के संघर्षमय जीवन की चर्चा करते हुए अरविन्द विद्रोही ने कहा कि मजदूरों के लिए नौकरी गंवा देना कोई मामूली बात नहीं होत. मगर, इससे भी गैर मामूली बातें वो होती हैं जो नौकरी गंवा देने के बाद कई रूपों में अवसर बनकर सामने आती हैं. उन अवसरों को ठुकरा कर पूरा जीवन मजदूरों के लिए समर्पित कर देना अनन्य उल्लेखनीय घटना होती है. इसे बस महसूस किया जा सकता है. उस दौर के साथियों में जेपी सिंह हमारे साथ हैं यह पूरे समाज के लिए फख्र की बात है.
जेपी सिंह ने अपने लेखकीय भाषण में हजारा सिंह के शहीद होने की घटना का जिक्र किया. वह घटना इस रूप में अनोखी थी कि एक सिख ने एक सिख के कहने पर एक सिख के ऊपर ट्रक चढ़ा दिया. भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस के साथ काम कर चुके शहीद हजारा सिंह ने कालापानी की सज़ा भी भुगती थी. उन्होंने अपना बाकी जीवन जमशेदपुर के मजदूरों को समर्पित कर दिया. सुविधाएं और वेतनमान की जो लड़ाई हजारा सिंह ने लड़ी उसी का प्रतिफल आज टाटा समूह के कर्मचारी हासिल कर रहे हैं. इस संघर्ष को प्रो अब्दुल बारी, कॉमरेड केदार दास, माइकल जॉन जैसे नेताओं ने आगे बढ़ाया.
जेपी सिंह ने कहा कि कॉमरेड केदार दास लाठीचार्ज में घायल होने के कुछ दिन बाद शहीद हो गये. उनकी शहादत के बाद असंगठित मजदूर अनाथ हो गए. उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द के लिए प्रो जकी अनवर की शहादत की भी याद दिलाई.
इंटक नेता डॉ राकेश्वर पांडे ने कहा कि जेपी सिंह की शहादतनामा में जिन ट्रेड यूनियन नेताओं का जिक्र आया है वो बिरले थे. ऐसे नेताओं की ही बदौलत भावी ट्रेड यूनियन मजबूत हुआ. हजारा सिंह जैसे शहीदों को याद किए बगैर ट्रेड यूनियन आंदोलन मजबूत नहीं हो सकता. समय और परिस्थितियां बदली हैं लेकिन हमें उसी हिसाब से अपनी सोच के तरीको को भी बदलना होगा. मजदूर हमेशा प्राथमिकता में रहना चाहिए.
अपने अध्यक्षीय भाषण में समाजसेवी राज किशोर सिंह ने कहा कि जेपी बाबू जैसे लोग इस उम्र में भी अथक मेहनत कर समाज में योगदान करते हैं तो यह बड़ी बात है. उन्होंने विस्तार से बताया कि 80 साल की उम्र में जबकि एक कान से कुछ भी सुनाई नहीं पड़ता और दोनों आंखों में दर्जनों इंजेक्शन लग चुके हैं, डायबिटीज की बीमारी के बीच टूटे हुए हाथ और मुड़ चुकी उंगलियों के साथ पुस्तक लिख पाना भगीरथ प्रयास है. इसे एक योद्धा ही अंजाम दे सकता है. व्यक्तिगत जीवन में भी जेपी बाबू ने बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी हैं. 1979 के सांप्रदायिक दंगे में मानगो दाइगुट्टू में जेपी बाबू का घर जला दिया गया था. पूरे परिवार को दर-दर भटकना पड़ा था. किसी तरह जान बची थी.
भाकपा माले से जुड़े ट्रेड यूनियन नेता ओम प्रकाश सिंह ने स्वागत भाषण में मजदूरों के प्रति जेपी सिंह की निस्वार्थ भावना का जिक्र किया और विस्तार से बताया कि कितनी प्रतिकूल स्थितियों में ‘शहादतनामा’ का जन्म हुआ है. समारोह का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और नामचीन टीवी पैनलिस्ट प्रेम कुमार ने किया. मोहम्मद अनवर हुसैन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि उन्हें फख्र है कि उन्होंने कॉमरेड जेपी सिंह के साथ मऊभंडार में आईसीसी वर्कर्स यूनियन में सक्रिय रूप से काम किया. उस दौरान उन्होंने मजदूरों के लिए हासिल उपलब्धियों का भी जिक्र किया. अन्य विशिष्ट वक्ताओं में मजदूर नेता एसके चौधरी, बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के नेता आरए सिंह व अन्य ने भी अपने विचार रखे.