- बच्चों के मुद्दे पर एक साथ मिलकर व्यापक स्तर पर कार्य करने का सभी ने लिया संकल्प
जमशेदपुर.
देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के मुद्दे पर सरकार, प्रशासन गंभीर नहीं है, या उनसे जुड़े मुद्दे की ओर जिम्मेदारों का ध्यान आकर्षित नहीं हो रहा है. यही कारण है कि बच्चों से जुड़े शोषण, अपराध, भटकाव, बाल विवाह, बाल मजदूरी जैसी समस्या कम नहीं हो रही है. बच्चों के उत्थान के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं तो बनाई गई हैं, जो चलाई भी जा रही है, लेकिन धरातल पर उन कामों का औसत प्रतिशत देखने को कम मिल रहा है. यही कारण है कि नशे जैसे अपराध के चंगुल में नाबालिक और किशोर फंसते चले जा रहे हैं.
बच्चों से जुड़ी ऐसी ही समस्या, मुद्दे और उसके समाधान को लेकर शुक्रवार को जमशेदपुर के बिस्टुपुर स्थित होटल बुलेवर्ड में बच्चों, महिलाओं के उत्थान के क्षेत्र में काम कर रही संस्था आदर्श सेवा संस्थान की अगुवाई में शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ एक साझा कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बाल संरक्षण की दिशा में काम करने वाली 14 संस्थानों के प्रतिनिधि मंडल शामिल हुए. चर्चा के दौरान सभी संस्था के प्रतिनिधि मंडल ने अपने अपने सुझाव दिए, जिसपर आदर्श सेवा संस्था से अध्यक्ष डॉ निर्मला शुक्ला, महिला कल्याण समिति से अंजली बोस, विभिन्न संगठन से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता पूरबी घोष, पीटीआई संवाददाता विकास श्रीवास्तव ने यह तय किया कि इन मुद्दों के समाधान के लिए सभी को एक मंच पर आकर पहल करने की जरूरत है.
यह भी किया गया तय
यह तय किया गया कि बाल संरक्षण, उत्थान के लिए काम करने वाली सभी संस्थाएं एक मंच पर आकर एक आवाज बने, ताकि बच्चों से जुड़े मुद्दों और समस्या को प्रशासन व सरकार तक मजबूती से पहुंचाया जा सके. डॉ निर्मला शुक्ला ने कहा कि साझा मंच बिल्कुल निस्वार्थ भाव से काम करेगी, इसका संकल्प सभी को लेना होगा. वहीं अंजली बोस ने कहा कि बच्चों के एडॉप्शन में हो रही समस्या का जिक्र करते हुए इसके लिए व्यापक तौर पर काम करने की सलाह दी. साथ ही उन्होंने साझा मंच का एक नाम तय करने की सलाह दी, ताकि उसी बैनर के तले सभी एक साथ आकर एक आवाज बने. पूरबी घोष ने बाल शोषण का मामला उठाया.
कार्यक्रम में मौजूद पीटीआई संवाददाता सह जमशेदपुर प्रेस क्लब के महासचिव विकास श्रीवास्तव ने सलाह देते हुए कहा कि सबसे पहले बच्चों की समस्या के निदान के लिए बच्चों का वर्गीकरण करना होगा, उसके बाद उसके अनुसार उनकी समस्या का वर्गीकरण करना होगा, तब जाकर समस्या के निदान पर बात की जा सकती है. आज स्लम में रहने वाले, अनाथ, एकल अभिभावक वाले, बाल मजदूरी, बाल शाेषण से जुझ रहे बच्चों के अलावा बच्चों का एक ऐसा वर्ग भी है जो निम्न मध्यम और मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखता है. उनका भटकाव भी तेजी से हो रहा है. ऐसे में बच्चों और उनकी समस्याओं का वर्गीकरण करते हुए उनके लिए काम करने की जरूरत है. साथ ही समस्या का समाधान हो इसके लिए लगातार प्रशासन, सरकार पर दबाव बनाना होगा, ताकि सकारात्मक पहल और कदम उठाया जा सके.
प्रशासन से मिलेगा प्रतिनिधि मंडल
बैठक में यह तय किया गया कि साझा मंच के प्रतिनिधि मंडल आने वाले एक सप्ताह के अंदर जिला के उपायुक्त, एसएसपी से मिलकर इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे. आदर्श सेवा संस्थान की लक्खी दास ने बताया कि पूर्व में शहर के सामाजिक संगठन और जिला प्रशासन का एक साझा समिति हुआ करती थी जो त्रैमासिक या छह माह में एक बार बैठक करती थी, इसमें जिला के उपायुक्त, व अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी शामिल होते थे. ऐसे में मुद्दों और समस्या पर चर्चा के साथ तत्काल समाधान की राह निकलती थी.
इस बैठक में महिला कल्याण समिति अंजली बोस, संस्कृत से संजुक्ता चौधरी, अन्वेशा से अल्पना भट्टाचार्य, मिराकी से रीता पात्रा, एक्शन एड़ से तपन गोराई, सृजन भारती से विक्रम झा, निश्चय फ़ाउंडेशन से तरुण कुमार, कलामंदिर से लक्ष्मी मुंडा, हमारी आवाज से चंदन जयसवाल, घरेलू कामगार संघ से सुलोचन, ईपटा से अर्पिता, पीटीआई संवाददाता विकास श्रीवास्तव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से अरुण रजक और आदर्श सेवा संस्थान से अध्यक्ष डॉ निर्मला शुक्ला, लक्खी दास, एम अरविंदा, रीना दत्ता, राजेश कुमार व महिमा कालिंदी मौजूद रही.