- आरक्षण को गलत ढंग से परिभाषित किया गया, इसलिए आज भी लोग वंचित हैं: अधिवक्ता दिलबहादुर
- झारखंड मानवाधिकार संघ और आरटीआई कार्यकर्ता संघ की ओर से आयोजित किया गया डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती समारोह
- संविधान और वर्तमान परिस्थितियों पर की गई चर्चा
जीवन में सफलता हासिल करनी हो या अपने हक अधिकार की बात, इसके लिए सबसे बड़ा हथियार शिक्षा है और इसके साथ हर स्थिति में संघर्ष करने की क्षमता होनी चाहिए. साथ ही एकता से ही हर लड़ाई में विजय प्राप्त किया जा सकता है. इसलिए शिक्षित, संघर्षशील और संगठित रहेंगे, तो कोई भी हमें हमारे संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं कर सकता हैं.
उक्त बातें समाजसेवी सह झारखंड मानवाधिकार संघ के संरक्षक अविनाश सिंह राजा ने डॉ भीम राव अंबेडर जंयती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे. सोमवार को संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के मौके पर पुराना कोर्ट परिसर स्थित पेंशनर समाज भवन में झारखंड मानवाधिकार संघ और जमशेदपुर आरटीआई कार्यकर्ता संघ की ओर से संविधान और वर्तमान परिस्थितियों पर परिचर्चा का आयोजन किया गया था.
आरक्षण को गलत ढंग से परिभाषित किया गया, इसलिए आज भी लोग वंचित हैं: अधिवक्ता दिलबहादुर
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आरटीआई कार्यकर्ता संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सह वरीय अधिवक्ता दिलबहादूर ने संविधान के निर्माण, उसकी आवश्यकता और वर्तमान परिस्थिति और आरक्षण की विषमताओं पर अपनी बातों को रखा. दिलबहादुर जी ने मुखर होकर कहा कि जिस उद्देश्य से आरक्षण को संविधान में शामिल किया था, उसे गलत ढंग से परिभाषित कर के अपनाया गया. जिसका खामियाजा है कि आज 75 साल बाद भी आरक्षण की मांग और उसकी लड़ाई हो रही है जबकि अब तक देश में आरक्षण समाप्त हो जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि आरक्षण वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों और समाज के लिए था, लेकिन इसे जातियों में बांट कर इसकी मूल भावना को नष्ट कर दिया गया. उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने संविधान को तीन बिंदुओं पर आधारित किया था जिसमें समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व शामिल था. लेकिन वर्तमान में अंबेडकर की सोच और संविधान तार तार हो रही है. जातीय, धार्मिक उन्माद और आर्थिक असमानता व्याप्त है. स्वतंत्रता का लोग नाजायज लाभ ले रहे है. वहीं बंधुत्व को हर दिन अघात पहुंचाने जैसे कार्य हो रहे है.
कार्यक्रम में मौजूद आरटीआई कार्यकर्ता संघ के महासचिव कृतिवास मंडल ने आरटीआई और मानवाधिकार के मामले में हो रहे कानून के उल्लंघन और हनन को केंद्रित करते हुए अपनी बातों को रखा. उन्होंने कहा कि देश के लोगों को संवैधानिक अधिकार तो दे दिया गया है, लेकिन लोग अपने ही हक अधिकार के लिए न केवल दर दर भटकते है बल्कि उन्हें भ्रष्टाचार का शिकार भी होना पड़ता है. उन्होंने कहा कि झारखंड में सूचना आयोग और मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद खाली है. ऐसे मामलों के शिकायत पर भी न्याय कैसे मिलेगा.
कार्यक्रम में मानवाधिकार संघ के सलाहकार राजेंद्र यादव, पेंशनर समाज के सचिव भोगेंद्र पांडेय ने भी अपनी विचारों को साझा किया. वहीं स्वागत भाषण आरटीआई संघ के उपाध्यक्ष सदन ठाकुर और धन्यवाद ज्ञापन झारखंड मानवाधिकार संघ के अध्यक्ष दिनेश कुमार किनू ने दिया. कार्यक्रम का संचालन महासचिव विकास श्रीवास्तव ने किया. कार्यक्रम में अधिवक्ता राकेश कुमार सिन्हा, मुस्ताख अहमद, मनोज सिंह, नीलकमल गोप, नरेंद्र मोदी विचार मंच के संयोजक अश्विनी झा, उपेंद्र प्रसाद सिंह, सरोज रजक, रामनिवास गुप्ता, राम कुमार महतो, भीम शर्मा, अंजू कुमारी, सुवेंदु केसरी, सकुंतला देवी अन्य लोग मौजूद थे.