– अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में नारी के सम्मान में मनोज किशोर की कलम से कविता
जगतजननी
हे जगतजननी नारी,
तू मान है, सम्मान है,
हर घर की शान है.
तुझसे शुरू सुबह है,
तुझसे ही ख़त्म शाम है.
हे नारी, तू अभिशाप नहीं,
तू हर घर की अभिमान है.
तू जीवन भी है, तू संयम भी है.
तू ममता भी है, तू शक्ति भी है.
तू गर्भिणी भी है, तू मर्दीनी भी है
तू हर रूप में श्रेष्ठ
ही नहीं सर्वश्रेष्ठ है.
उठ जाग, कर संघर्ष
निकल पुरूषों की छाया से,
बना खुद की पहचान.
तुझमे है अनन्त शक्ति विद्यमान
सौ-सौ दुःखों को तू सीने मे दबाकर चेहरे पे रखती
हरदम मुस्कान है .
इक जान तो कम है,
हे नारी तेरे सम्मान मे,
तुझपे सौ-सौ जान कुर्बान है.
तुम्हारे तप, त्याग, तपस्या
को कोटि कोटि प्रणाम है.
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
मनोज किशोर